Wednesday, July 7, 2010

फुटबॉल एक जादुई खेल!


वाकई फुटबॉल एक जादुई खेल है, जिसके सम्मोहन में अधिकांश खेल प्रेमी बंध गए हैं। अपना देश फुटबॉल वर्ल्ड कप में हिस्सा नहीं ले रहा है बावजूद इसके फुटबॉल का जादू खेल प्रेमियों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। खेल प्रेमियों से लेकर खेल की खबर पहुंचाने वाले तक इसकी खुमारी से बच नहीं पाए हैं।

फुटबॉल का सम्मोहन वलर्ड कप के आयोजन के दिन से ही है। लीग मैचों में हिस्सा लेने वाले कई छोटे-छोटे देशों को खेल प्रेमी जानते भी नहीं थे। लेकिन अपनी चहेती टीम और खिलाड़ियों को समर्थन करने वाले खेल प्रेमी पौ फटने तक सूजी हुई आंखों के साथ टीवी से चिपके रहे। फुटबॉल का सम्मोहन इतना मजबूत है कि भारत द्वारा 15 साल बाद क्रिकेट का एशिया कप जीतने की खबर अखबार के खेल के पन्ने के एक कोने में सिमट कर रह गई। इससे साफ जाहिर है कि फुटबॉल का नशा चारों ओर है। इसके आगे क्रिकेट और टेनिस सब की चमक फीकी है। अपने देश के पूर्व क्रिकेटर (सौरभ गांगुली) भी क्रिकेट की बजाए फुटबॉल वर्ल्ड कप की संभावनाओं पर कलम चला रहे हैं। इस दौरान इंग्लैंड में विम्बलडन चल रहा है लेकिन फुटबॉल और वुवुजेला के आगे रोजर फेडरर और राफेल नडाल सहित टेनिस की सुंदरियों का जादू भी नहीं चल पाया।

एक मजेदार बात यह भी है कि फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान ही दूसरे खेलों में कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए। उदाहरण के लिए क्रिकेट के एशिया कप को ही ले लिया जाए या साइना नेहवाल का इंडोनेशिया सुपर सीरीज जीतना। नेहवाल का यह लगातार तीसरा खिताब था तो भारतीय क्रिकेट टीम ने डेढ़ दशक बाद एशिया कप जीता। क्रिकेट के दीवाने अपने देश में फुटबॉल का जुनून देखकर सिर्फ अचरज ही किया जा सकता है!

हालांकि फुटबॉल का असली जादू तो प्री-क्वार्टर फाइनल से शुरू हुआ। क्वार्टर फाइनल में फाइनल जीतने की दावेदार दो मजबूत टीम-ब्राजील और अर्जेटीना बाहर हो गईं। ब्राजील को हॉलैंड ने हराया जबकि जर्मनी ने अर्जेटीना को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद खेले गए पहले सेमीफाइनल में हॉलैंड ने उरुग्वे को हराकर फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल में पहुंचने वाली दूसरी टीम का फैसला आज देर रात खेले जाने वाले जर्मनी और स्पेन के मैच से होगा।

फाइनल में चाहे जिन दो देशों के बीच मुकाबलो हो फुटबॉल वर्ल्ड कप के कई आश्चर्यजनक परिणामों को देखते हुए फुटबॉल को चमत्कारी और जादुई खेल कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। बस, अब इस चमत्कारी खेल के समापन में कुछ रोज ही बचे हैं। जमकर मजा लीजिए इस खेल का!

2 comments:

  1. भई ऊंट पहाड़ के नीचे आएगा तो क्या होगा, जरा कल्पना करो सारी बातें समझ में आ जाएंगी। रही बात क्रिकेट के दिवाने अपने देश की, तो अमेरिका में क्रिकेट की वही स्थिति है, जैसी फुटबॉल की अपने देश में। लेकिन वहां क्रिकेट प्रेमियों की कोई कमी नहीं है। अपने देश में फुटबॉल की खुमारी की एक वजह मीडिया की करगुजारियां भी हैं। वैसे वैश्विक स्तर पर लोकप्रियता के मामले में फुटबॉल के आगे क्रिकेट की कोई खास हैसियत नहीं है, यह तुम जानते ही हो। हां एक बात और है, फुटबॉल के विश्वकप में इस बार के उलट-फेर ने इसके रोमांच को कई गुना बढ़ा भी दिया है और कई प्रसंशकों के चेहरे की चमक भी उड़ा दी है।

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  2. sare post padh raha hoon ek ek karke

    piyush

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