संसद में भारत-पाक साझा बयान पर बड़ा हो-हल्ला मचा। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ। संसद के अंदर-बाहर राजनीतिक दलों को एक-दूसरे की टांग खिंचाई (झूठमूठ का ही सही) करने का तो बस बहाना भर चाहिए। क्योंकि विपक्ष जानता है कि सरकारें किस तरह चलाई जाती हैं। उन्हें सत्ता की मिठास का पता है! यदि इतना भी नहीं करेंगे तो आखिर विपक्ष में रहने का मतलब क्या रह जाएगा! सब जगह गलबहियां डालकर तो घूम नहीं सकते न!
लेकिन यह अमेरिका के साथ बड़ी नाइंसाफी होगी कि सिर्फ भारत-पाक से संबंधित मुद्दों के लिए ही उसे कोसा जाए। और भी कई बड़े-बड़े कारनामों में उसका हाथ हो सकता है। देश सबसे अधिक इंजीनियर हर साल तैयार करता है। लेकिन यहां ही खंभे कमजोर बनते हैं और टूटते हैं। हमारे ही यहां नदियों पर पुल नहीं हैं। देश में महंगाई एवरेस्ट के शिखर पर पहुंच गई है। मानसून मुंह फुलाकर बैठा है और सूखे की चांदी है। इसके पीछे छिपे सच को भारत की जनता के सामने लाना होगा। उसे हर हाल में सच का पता चलना चाहिए। जनता सच का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहती है!
हमारे जो कमजोर खंभे हैं, इसके पीछे भी अमेरिका और उसके मित्रों का हाथ है। जब हमारे यहां के सारे इंजीनियरों को वही बुला लेंगे तो यहां दूसरा और क्या होगा? गनीमत ये है कि थोड़े बहुत बचे रह गए हैं, जिनसे अपना कुछ कामकाज निकल जा रहा है वरना हमारी स्थिति भी किसी दूसरे ग्रह के प्राणियों की भांति हो जाती! लेकिन इतना सब होने के बाद भी किसी का ध्यान इस तरफ नहीं है। इसके लिए भी अमेरिका पर आरोप लगाना चाहिए। लेकिन इतनी हिम्मत न सरकार के पास और न ही विपक्ष के पास। लगता है इन मुद्दों पर पक्ष-विपक्ष ने गठबंधन कर लिया है! तभी सभी ने अपने मुंह बंद कर लिए हैं।
इससे भी बड़े कई संगीन जुर्म में अमेरिकी हाथ हो सकता है। हमारे यहां की कई आतंकी घटनाओं के पीछे भी अमेरिका हो सकता है! हम बिना वजह अपने प्यारे छोटे भाई पाकिस्तान और आईएसआई पर शक जाहिर करते हैं! ये कौन नहीं जानता कि अमेरिका पहले दुश्मन तैयार करता है फिर उन्हीं के खिलाफ जंग छेड़ता है। सद्दाम, लादेन और अफगानिस्तान जसे कई उदाहरण सामने हैं। उसका अगला निशाना भारत भी हो सकता है! हमने बता दिया है। फिर कोई यह न कहे कि हमें तो बताया ही नहीं।
इस तरह की घटनाओं से इतिहास भरा है कि अक्सर धोखा वही देता है, जिस पर हम सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं।
Well written story on a genuine issue.
ReplyDelete