तुमने वनडे को अलविदा क्यों कह दिया, सचिन! अभी तो तुम्हें अनगिनत काम करने थे। तुम एक और शतक बना देते तो शतकों की संख्या 50 हो जाती...20 हजार रन बनाने से भी तुम चूक गए! कुछ दिन और संयम रखते तो 500 वनडे भी खेल ही लेते और "मैन ऑफ द मैच" पाने का सैकड़ा भी पूरा कर लेते। मुझे पूरा यकीन है कि तुम इन सब तक पहुंच सकते थे। बड़े आराम से।
तुमने 23 साल तक हिम्मत दिखाई, लेकिन आखिर में तुम किससे डर गए! तुम्हारा कद तो खेल से भी बड़ा है न! संन्यास नहीं लेते, तो हो सकता था कि तुम दूसरा दोहरा शतक भी लगा देते! तुम्हारे नाम के आगे बस एक दोहरा शतक नहीं जमता। बहुत खेल बचा था तुम्हारे अंदर!
खेल बचा था, तभी तो तुम अब भी टेस्ट में उतरने के लिए तैयार हो। इसमें तुम अब कोई चूक मत करना....शतक पे शतक ठोकते जाना! हम इसमें का एक शतक वनडे वाले में जोड़कर पचासा पूरा कर देंगे! तुम रुक जाना.....टेस्ट से संन्यास मत लेना.........बीसीसीआई के पास कम से कम प्लेइंग इलेवन का आजीवन सदस्य बनाने का विकल्प तो बचा रहे! तुम्हारे साथ धोखा तो न होगा। संगठन इक्का-दुक्का को ही क्यों बचाए भला। उसे पहली गलती सुधारने का तुम मौका जरूर देना!
Achha laga jo baaten kahane me in dino zyadatar log sankoch kar rahe
ReplyDeletehain use tumne rochak andaz me kah dala hai, ek khijhe hue cricket
premi ki tarah apne udgar prakat kiye hain tumne.