Tuesday, March 10, 2009

आगे की खुदा जाने

बचपन में राजा और प्रजा की कहानी सुना और पढ़ा करता था। दयालु राजा, क्रूर राजा। प्रजा का भला चाहने वाला राजा। उनकी हाल-चाल जानने के लिए हड्डी भेदने वाली ठंड में भी वेश-भूषा बदल कर महल से निकलने वाला राजा। लेकिन इन कहानियों से जवानी के दिनों में भी पीछा नहीं छूट रहा है। अंतर सिर्फ इतना है कि शासन तंत्र के बदले रूप में राजा कहीं नहीं घूम रहा। उनके युवराज घूम रहे हैं। लेकिन इनका मकसद क्या है।

सहीराम जी से मैंने पूछा। सहीराम ने लंबी सांस अंदर की और कहा- अपने युवराज अब राजा बनना चाहते हैं। उन्हें युवराज की जिंदगी में मजा नहीं आ रहा! युवराज बोर हो चुके हैं! इसलिए वे सबको संदेश देना चाहते हैं कि मुङो हल्के से न लिया जाए। इससे यह भी साफ हो जाएगा कि दूर-दूर तक कोई दूसरा व्यक्ति उनकी राह में न आए। यानी रास्ता एकदम साफ! युवराज के परिवार के कई लोगों ने भी रोड शो किया था। युवराज ने वहीं से सीखा है सब कुछ। आपको तो पता ही होगा कि प्रथम पाठशाला परिवार होता है। युवराज पहले से ही कमर कस कर मैदान में उतरना चाहते हैं! युवराज एक गांव और एक शिवकुमारी को सहायता पहुंचाकर देश को देखना-समझना चाहते हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह हांडी के एक चावल को टटोलने पर पूरी हांडी के चावल का हाल पता चल जाता है।हालांकि इसकी शुरुआत दशकों पहले उनके ही परिवार से हुई थी लेकिन अब तक कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ। आगे की खुदा जाने। आज मुङो सहीराम जी थोड़े बहके-बहके लग रहे थे फिर भी मैं उनकी हां में हां मिलाता जा रहा था।

मेरे मन में और भी कई प्रश्न उमड़-घुमड़ रहे थे। मैंने सहीराम जी से पूछा- युवराज अपने साथ उस अंग्रेज के क्यों ले गए थे? उन्होंने एक ही सांस में ठंढे पानी का गिलास गटकने के बाद कहा- युवराज हमारी गरीबी का सौदा करना चाहते हैं! मैं अवाक रह गया। गरीबी का भी सौदा किया जा सकता है।सहीराम ने आसान शब्दों में समझाया-वह अंग्रेज भी कल का पीएम है। अगर जरूरत पड़ी तो वह अंग्रेज सहायता करने में पीछे नहीं हटेगा। दोनों मिलकर काम करेंगे इसीलिए तो अभी से ही दोनों गलबहियां डाले घूम रहे हैं।

मुङो अब धीरे-धीरे यकीन होने लगा था कि युवराज पूरी तरह पीएम बनने के मूड में हैं! और उनकी तैयारी के तो क्या कहने!


-आज समाज में 22 जनवरी को प्रकाशित.

2 comments:

  1. जल्द ही सब सामने होगा!!



    होली की बहुत बधाई एवं मुबारक़बाद !!!

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