ऑस्कर का बुखार उतरने के साथ ही मेरे मन में नई तरह की उम्मीदें अंगड़ाइयां लेने लगी हैं। कई तरह के नए सपने हिलोरे मार रहे हैं। मन पर लगाम लगाना तो असंभव ठहरा न! अब नई आकांक्षाओं और उम्मीदों को कौन रोक सकता है भला! मन ने कहा-स्लमडॉग की विषय वस्तु और ऑस्कर पुरस्कार जीतने के बाद अब भारत के स्लम और वहां रहने वालों के दिन भी बदल जाएंगे! स्लम वाले लोग भी आलीशान बंगले में रहेंगे! प्लास्टिक से बने घेरे जिसे वे घर कहते हैं बीते दिनों की बात हो जाएगी। बिजली और पानी मुफ्त में दी जाएगी सो अलग!
ऑस्कर मिलने के बाद यह विषय हॉट हो गया है। इस विषय को अलग-अलग नाम और किरदार लेकर दर्जनों फिल्में बनेंगी। इस बार एक्टर के साथ-साथ डायरेक्टर भी अपना होगा। फिल्म के विषय और डायरेक्टर के देसी होने से देसी स्लमडॉग बनेगा। खालिस मुंबइया! मिलावट से रहित। सौ फीसदी शुद्ध स्लमडॉग! बिना यह विचार किए कि किसी देसी फिल्म को ऑस्कर मिलेगा या नहीं। न मिले तो कोई बात नहीं। यदि मिलता है तो खुशी दोगुनी हो जाएगी। इसका मतलब यह नहीं लगाना चाहिए कि स्लमडॉग को मिले ऑस्कर से हम खुश नहीं। वैसे भी बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना को चरितार्थ करने में हम हमेशा से ही आगे रहे हैं!
इधर हमारी सरकार भी कम नहीं उछल रही है! सुना है कि इसी खुशी में चूर उसने इसके लिए एक नए मंत्रालय का गठन करने फैसला किया है! हम तो पहले ही से जानते थे कि पुरस्कार वगैरह जुगाड़ से ही मिला करते हैं। सरकार ने घोषणा करने में इतना समय क्यों लगाया! हर साल हमसे ज्यादा शायद ही कहीं फिल्म बनाई जाती हो। इसलिए हमारे लिए तो हर साल पुरस्कार पाने के अच्छे मौके हैं। अगर सरकार ने यह कदम पहले उठाया होता तो हमें लाभ मिलता! सरकार के इस ढुलमुल रवैये से देश को भारी नुकसान पहुंचा है! खासकर हमारे सिनेमा जगत को। हमें विश्व स्तर पर पहचान नहीं मिली! जो मिली है वह आधी-अधूरी है।हम संतोषी प्राणी भी तो ठहरे! जितना मिल गया उसी से खुश रहने की बीमारी है। लेकिन ऐसा होने से लोग कहते हैं कि विकास रुक जाता है। यानी विकास के लिए लालची होना जरूरी है! इसलिए देसी ऑस्कर की आस लिए हमें स्लम की ओर कूच करना चाहिए, जहां उसकी जड़ है। वैसे भी बुजुर्गो ने कहा है कि शुभ काम की शुरुआत मत्था टेकने से करनी चाहिए।
दिल्ली से छपने वाले हिंदी दैनिक आज समाज में 03 मार्च को प्रकाशित.
सच लिखा है मित्र ...
ReplyDeleteमत्था टेके डले हैं आपके कहे पर. :)
ReplyDeleteअच्छा आलेख.
Good writing, keep it up - Rakeshh
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