मैंने चुनावी मौसम में यह महसूस किया कि हम किस भारत में रहते हैं। यदि असली तस्वीर से मैं अब तक नावाकिफ था तो इसमें दोष मेरा ही है। मुङो अब लग रहा है कि मैं सच्चाई से मुंह चुराकर चला जा रहा था। आंखें बंद कर लेने से सच बदल तो नहीं जाता! मैं राजनीतिक दलों का हमेशा कर्जदार रहूंगा। क्योंकि उन्होंने मेरी आंखें खोल दी हैं। मुङो सच से रू-ब-रू कराया! लेकिन उनको यह बातें चुनाव से पहले ही क्यों सूझती हैं। वे ऐसा चुनाव आने पर ही क्यों करते हैं? यह ऐसे प्रश्न हैं, जिसका जवाब देने में युधिष्ठर को भी बगलें झांकना पड़ता।
अलग-अलग राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्रों में देश की जनता को अनाज देने का वादा किया है। यह सुन-पढ़ कर मैं बेचैन हो उठा। इसे शांत करने के लिए मैंने अपने मित्र का सहारा लिया। मैंने उससे पूछा- भाई ये नेता लोगों से चावल-गेहूं बांटने का वादा क्यों कर रहे हैं? मेरा मित्र बड़ा ही समझदार है। उसने कहा- तुम भी इनके झांसे में आ गए! हमारे नेता इतने बेवकूफ थोड़े ही न हैं। अगर वे इस तरह अनाज बांटने लगे तो देश में अनाज की कमी नहीं हो जाएगी! यह तो होने से रहा। उसने आगे कहा- अगर वादा पूरा हो भी गया तो लोगों तक पहुंचेगा इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। मैंने पूछा यह फिर कहां जाएगा? मेरे मित्र ने कहा-इसे बीच रास्ते में ही उड़ा लिया जाएगा। ऐसी घोषणाएं इन्हीं लोगों के लिए ही की जाती हैं। ताकि उड़ाने वाले पूरी तैयारी के साथ अपना काम कर सकें! इससे पार्टी को भी फायदा पहुंचता है। चुनाव लड़ने के लिए चंदा भी तो मिल जाएगा! मुङो यह अघोषित करार की तरह लगा।
मैंने उससे कहा-तुम्हारी बातें मुङो हवा-हवाई लग रही हैं। उसने कहा कि यहीं बात खत्म थोड़े ही न होती है। अगर गरीबों तक अनाज पहुंच गया तो उन्हें बड़ा फायदा हो जाएगा। मैं आश्चर्य में पड़ गया। फायदा कैसे? उसने बताना शुरू किया-अनाज गरीबों तक पहुंचेगा तो वे इसे निर्यात कर देंगे! तुम्हें पता नहीं क्या आजकल रुपए के मुकाबले डॉलर की मांग बढ़ गई है। उनकी तो चांदी ही चांदी होगी!
ये सारी बातें मुङो बड़ी अजीब लगीं। लोकतांत्रिक और कृषि प्रधान वाले देश में दशकों बाद भी जनता को अनाज की जरूरत है। उनके पास कंप्यूटर, लैपटॉप, आई-पॉड, कार आदि-आदि चीजें कब तक पहुंचेगी! क्या कभी इन्हें भी घोषणा-पत्रों में शामिल किया जाएगा?
भाई मेरे वैसे तो चुनाव अनमोल है ,मगर नेताओं की ढोल में पोल है...
ReplyDeleteaankhe band kar chunav ka maja lete rahiye
ReplyDeleteभाई! अभी तो जरुरत की ची्जें ही सभी को मिल जाएं तो ग़निमत समझे।लेकिन यह सब जानते है कि यह सब वोट की खातिर सब खेल चल रहा है।
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