मेरे एक पड़ोसी के मित्र चंपूलाल जी इन दिनों बड़े परेशान चल रहे थे। यह बात मैं पहली ही नजर में भांप गया था। उनका सदाबहार हंसता-मुस्कुराता चेहरा सूख गया था। ठीक उसी तरह जसे हमारे गांव की नदी गर्मियों में हो जाती है! मैंने एक दिन चंपूलाल जी से इसका कारण पूछ ही बैठा। मैं सब कुछ उनके मुंह से सुनना चाहता था। उन्होंने थोड़ा सकुचाते हुए अपनी जवानी को परेशानी का कारण बताया! लेकिन मुङो उनका यह कारण टालू लगा। इसलिए मैंने कुरेदना जारी रखा।
चंपूलालजी का सब्र का बांध भावनाओं में भड़भड़ा के बह निकला। बेचारे सचमुच जवानी के दिनों की बीमारी का ही शिकार हुए थे! मुङो उन पर तरस और खुद पर ग्लानि हुई। मैं नाहक ही बेचारे पर शक कर रहा था। हुआ यह था कि अपने चंपू भाई का दिल पड़ोस में रहने वाली एक लड़की पर आकर अटक गया था। लड़की चंपूलाल जी को कभी-कभार फोन करके मिलने के लिए बुलाती। चंपूलाल जी जोश से लबरेज हिरन की तरह कुलांचे भरते पहुंच जाते। रास्ते भर बातचीत का मसौदा तय करते जाते। घंटों इधर-उधर की बातें होतीं लेकिन उनका मसौदा तरकश में ही जमा रह जाता। क्षणिक साथ पाकर उन्हें कुछ याद ही नहीं रहता! ऐसे ही दिन, महीने और साल बीत गए। मगर चंपू भाई को कुछ हासिल न हुआ!
इस तरह रोज-रोज अघोषित प्रेम में गोता लगाते-लगाते चंपूलाल जी ऊब गए थे। वे इस रहस्य से जल्द से जल्द पर्दा उठाने के लिए बेताब थे। इसके लिए उन्होंने हाथ-पांव मारना भी चालू कर दिया। इस बार उन्होंने लड़की को मिलने को बुलाया। लेकिन हमेशा की तरह उन्होंने कोई मसौदा तैयार नहीं किया। उन्होंने सीधे-सीधे अपनी दिल की बात लड़की के सामने रख दी। उन्हें पूरा विश्वास था कि उनके प्यार पर अमिट मुहर लग जाएगी। लेकिन लड़की के कहा कि बिना प्यार के जसा चल रहा है वही ठीक है। चंपूलाल जी यह सुनकर उदास रहने लगे।
मैंने उन्हें समझाया-चंपू भाई, जवानी के दिनों के ये किस्से तो सबके साथ होते हैं। आपके साथ ऐसा कुछ न होता तो परेशानी की बात थी। आप खुद को खुशकिस्मत मानिए कि नये जमाने के प्रेम का अनुभव आपके पास है और यह बहुत बड़ी बात है!
sundar prastuti.
ReplyDeleteshandar likha hai, lekin updesh bahut dete ho.
ReplyDeleteआपके लिखने की शैली बेहतरीन है। पढ़ने में आनंद आ रहा था पर ऍसा लगा कि अचानक ही आपकी इस कथा में इमरजेंसी ब्रेक लग गया है। लिखते रहें...
ReplyDeleteरोचक पोस्ट।
ReplyDeletePrem par bahut kuch likh rahe ho? Aakhir baat kya hai?
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