इन दिनों टेस्ट और एकदिनी क्रिकेट को लेकर नए-पुराने खिलाड़ियों में बड़ी चिंता व्याप्त है। शायद उन्हें यह पता नहीं कि चिंता, चिता के समान होती है। हो सकता उन्हें इस बारे में सोचने का वक्त न मिला हो! आखिर खिलाड़ियों का शेड्यूल टाइट जो रहता है। थोड़ा-बहुत समय मिलता भी है तो विज्ञापन की शूटिंग में निकल जाता है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए बीसीसीआई ने सलाह दी कि इन दोनों पुराने फॉर्मेट (ट्वेंटी-20 की तुलना में) के भविष्य के बारे में सोच कर खिलाड़ी चिंता के गहरे सागर में डुबकी न लगाएं। वे अपना सारा ध्यान खेल और उससे भी ज्यादा विज्ञापन बटोरने में लगाएं ताकि खिलाड़ियों का भविष्य बेहतर हो सके। अपने सुझाव में बीसीसीआई ने कहा कि यह काम वे क्रिकेट प्रेमियों और प्रशंसकों पर छोड़ दें। उनके अनुभव किस दिन काम आएंगे? वही नए-नए फार्मूला निकालेंगे ताकि ट्वेंटी-20क्रिकेट के दोनों बड़े भाइयों को बचाया जा सके। इसके लिए बोर्ड ने क्रिकेट प्रेमियों के सुझाव आमंत्रित किए। दुनिया का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड इस नाजुक घड़ी में बेहद गरीब नजर आ रहा था।
ऐसे ही किसी मौके के इंतजार में हमारे क्रिकेट प्रेमी पड़ोसी जुम्मन मियां बैठे थे। वे एक दिन अपने फार्मूले के साथ तशरीफ ले आए। जुम्मन मियां उस दिन बेहद संजीदा मूड में थे और उनकी अगर चलती तो वे अपने फार्मूले को बताने से पहले ही लागू करवा के दम लेते! जुम्मन मियां चाहते थे कि जितने क्रिकेटर टेस्ट क्रिकेट के भविष्य को लेकर आशंकित हैं, वे आगे आएं और उनसे प्रत्येक टेस्ट खेलने वाला देश अपनी टीम बनाए। यदि किसी देश में खिलाड़ियों की संख्या कम पड़ती है तो वह अन्य देश के क्रिकेटर को टीम में शामिल कर सकता है। उनका मानना था कि टेस्ट क्रिकेट में अनुभवी खिलाड़ियों की ज्यादा जरूरत होती है इसलिए उन्होंने यह सुझाव दिया। एकदिनी के लिए उन्होंने टेस्ट में पांच दिन तक न टिक पाने वाले खिलाड़ियों को जगह देने का सुझाव दिया!
जुम्मन मियां ने सुझाव दिया कि अगर फिर भी खिलाड़ी कम पड़ें तो कम-से-कम पचास ट्वेंटी-20 मैच खेल चुके खिलाड़ी को ही टेस्ट और एकदिनी मैच के लिए चुना जाए। इससे भी टेस्ट और एकदिनी को बचाया जा सकता है। लोग अपने पसंदीदा ट्वेंटी-20 खिलाड़ी को देखने तो आएंगे ही!
जुम्मन मियां के इन सुझावों को बोर्ड ने एक ही झटके में मान लिया और उनके बहुमूल्य सुझावों के लिए बोर्ड ने शाल और श्रीफल देकर उन्हें सम्मानित किया। टेस्ट और एकदिनी को बचाना जो था!
Sahi kaha aapne.
ReplyDelete------------------
अदभुत है मानव शरीर।
गोमुख नहीं रहेगा, तो गंगा कहाँ बचेगी ?