Friday, January 8, 2010

अखबारवालों की जल्दबाजी

क्रिकेट अनिश्चतताओं का खेल है। यह बात समय-समय पर स्वयं क्रिकेट ही सिद्ध करता रहा है। इसका सबसे ताजा उदाहरण सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर आस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच खेला गया दूसरा क्रिकेट टेस्ट मैच था। तीन टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट जीतकर आस्ट्रेलिया बुलंद हौसले के साथ सिडनी के स्पिनरों को मदद करने वाली पिच पर उतरा था। लेकिन आस्ट्रेलिया की पूरी टीम पहली पारी में महज 127 रन बनाकर आउट हो गई। इसके जवाब में पाकिस्तान ने 333 रन बनाकर बढ़त हासिल कर ली। अपनी दूसरी पारी में आस्ट्रेलियाई टीम ने मैच के तीसरे दिन खेल खत्म होने तक आठ विकेट के नुकसान पर 286 रन बनाए, जिससे उसे 80 रन की बढ़त हासिल हो चुकी थी और उसके पास दो विकेट शेष थे। आस्ट्रेलिया के धाकड़ बल्लेबाज माइक हसी 73 रन बनाकर क्रीज पर मौजूद थे।

मैच के चौथे दिन क्या होगा ये किसी को पता नहीं था। लेकिन यहां पाकिस्तान का पलड़ा पूरी तरह भारी था, इसमें भी कोई संदेह नहीं। छह जनवरी की सुबह जितने हिंदी और अंग्रेजी के अखबारों पर नजर डाली सभी ने लगभग एक-सा शीर्षक लगाया -पाकिस्तान जीत के करीब। यहीं अखबारों से भूल हो गई। अखबार के खेल के पन्ने से जुड़े पत्रकार बंधु पाकिस्तान को जिताने के लिए इतने उतावले क्यों थे मुङो समझ नहीं आया। अगर पाकिस्तान मैच के चौथे दिन जीत हासिल करने में कामयाब हो जाता तो अखबारों के इस शीर्षक की सार्थकता सिद्ध हो जाती। यदि अखबार वाले कम से कम एक सुबह और इंतजार कर लेते तो कुछ नहीं बिगड़ जाता। पता नहीं क्यों वे समाचार चैनलों से होड़ लगाने लगे।

दूसरे टेस्ट के चौथे आस्ट्रेलिया की पारी 381 रनों पर जाकर रुकी। तीसरे दिन के नाबाद बल्लेबाज हसी ने शानदार शतक जड़ा और उन्होंने 134 रन बनाए और अंत तक आउट नहीं हुए। इस तरह आस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरी पारी के आधार पर कुल 175 रनों की बढ़त हासिल कर ली। पाकिस्तान को दूसरे टेस्ट में जीत के लिए 176 रन का लक्ष्य मिला। लेकिन उसकी पूरी टीम 139 रन बनाकर आउट हो गई और अखबारों के शीर्षक के उलट आस्ट्रेलिया ने दूसरा टेस्ट मैच 36 रन से जीत लिया।

यदि अखबारवालों ने थोड़ा धैर्य रखा होता तो मुङो यह पोस्ट नहीं लिखना पड़ता!

2 comments:

  1. akhilesh ek to media me ek-doosre ko peechhe chhodne ki hod hai aur doosra jo shirsh par hota hai use dhakelne ki lalak insaan me swabhavik rup se mauzud hota hai. mauzuda samay me cricket ki duniya me australiya aur india ki badshahat hai aur india ek paydan neeche hai. aise me hamare desh ke cricket premi apni team ko number 1 ka drja dilana chahte hain. mushkil ye hai ki apni team me australiya se aage nikal jaane ka dam nahi hai. aise me ek hi surat bachti hai, ki australiya khud hi ek paydaan neeche aa jaye. tumne akhbaron ki jin shurkhiyon ka zikra kiya hai we isee chahat ke parinam hain aur media ko to so called audience ki ichha ka khayal rakhna hi padta hai, hai na!

    Bhimsen

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

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