Monday, February 8, 2010

बिना चुनौती क्या मजा!

मराठी और मुंबई मामले पर 'कागजी शेर' और 'गैर-कागजी' शेरों के बीच मुकाबला टाई रहा। न 'कागजी शेर' ने हार मानी और न 'गैर-कागजी' शेर ही जीत पाए! मुंबई को किले में तब्दील कर 'गैर-कागजी' शेर ने खूब दहाड़ा! युद्ध की भी अपनी नीति होती है। मैदान-ए-जंग में धर्म को नहीं छोड़ा जाता। लेकिन यहां सब कुछ उसके उलट रहा। काश, इतनी तत्परता सरकार तब भी दिखाती जब उत्तर भारतीयों को मारा-पीटा जा रहा था! 'कागजी शेर' को नख-दंतविहीन कर 'जंगल' की सैर में कैसी बहादुरी!

अब तक मैं सुनता आ रहा था कि गरजने वाले बादल बरसते नहीं। लेकिन अबकी बार देख भी लिया! 'युवराज' को काला झंडा क्या, पूरे मुंबई में कोई काला कपड़ा पहने व्यक्ति नहीं दिखा! तभी तो हेलीकॉप्टर के बजाय लोकल ट्रेन पर सवार हो गए। लेकिन तब भी अंगुली की नाप भर काला कपड़ा नहीं दिखा। अंधेरी से दादर और दादर से घाटकोपर तक भी नहीं! टिकट काउंटर से एटीएम मशीन तक!'युवराज' मुंबई में चारों ओर काला कपड़ा ढूढ़ते रहे। लेकिन निराशा ही हाथ लगी। बेचारे 'युवराज' बड़े मायूस हुए होंगे! लगता है 'कागजी शेर' ने 'युवराज' को बच्चा जानकर बख्श दिया! दिल पसीज गया होगा! इससे यह बात साबित होती है कि 'जानवरों' के पास भी 'दिल' होता है।

बादशाह तो अपनी फिल्म का भारत के बाहर प्रचार कर रहे थे। लेकिन भारत में इस दौरान बच्चे-बच्चे की जुबां पर उनकी नई फिल्म का नाम आ गया! वैसे सिनेमा हॉल खाली ही होते। फिल्म के प्रोमो में कुछ मसाला भी तो नहीं दिख रहा! 'कागजी शेर' को देर से अक्ल आई और विरोध का फतवा वापस ले लिया। वरना फतवे से 'बादशाह' ही 'किंग' खान बनते। मुंबई में फिल्म भले न चलती बाकी जगहों पर नोटों की बरसात जरूर करवाती! बादशाह ने आते ही 'कागजी शेर' के आग उगलते बयानों के ताप को कम करने के लिए उस पर सफाई की फुहार तो डाल दी! आखिर तालाब में रह कर मगर से बैर कब तक रखते! कुछ भी हो सबक तो जरूर मिला। वाकई विपत्ति में जो साथ दे वही मित्र है। 'युवराज' ने अच्छी मित्रता निभाई! 'युवराज' ने बता दिया कि साथ-साथ हम सिर्फ क्रिकेट ही नहीं देख सकते! बल्कि और भी बहुत कुछ कर सकते हैं!

'युवराज' से उम्मीद है कि वे इसी गति से देश में महंगाई को कम करने के लिए यात्रा करेंगे। लेकिन मेरी तरह शायद वे भी सोच में होंगे कि आखिर कोई तो इसे कम करने की चुनौती पेश करे! बिना चुनौती के काम का क्या मजा! अब तो जागो मोहन प्यारे!

2 comments:

  1. akhiri para shandar hai. waise aane wale kuchh warshon me hamare desh me kewal kagji sher hi bachenge. asli sher to kathit yuvraj jaise raeeshzadon ke ghar ki shobha badhane me shahid ho rahe hai.
    yah vyang shayad ab tak ka tumhara sabse badhiya koshish hai. mauka milne par apni baat kahne se chukna nahin chahiye.
    likhna zari rakho aur nikhar aayega.

    Bhimsen

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  2. "लगता है 'कागजी शेर' ने 'युवराज' को बच्चा जानकर बख्श दिया! दिल पसीज गया होगा! इससे यह बात साबित होती है कि 'जानवरों' के पास भी 'दिल' होता है। .............."

    बहुत खूब ....स्तिथिओं का प्रस्तुतीकरण सराहनीय लगा !
    बधाई...

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