Monday, March 9, 2009

फन के लिए सब जायज - व्यंग्य

श्रीराम सेना की करतूतों के बारे में जानकर मेरे मित्रों का एक झुंड उदास रहने लगा है। वे अब पब में जाने से डरने लगे हैं! पब चलाने वालों पर भी आफत आ गई है। मित्रों को डर है कि उनकी तथाकथित प्रेमिकाएं एक-एक कर दूर हो जाएंगी और उन्हें फिर वही स्टिरीयोटाइप जिंदगी जीने को मजबूर होना पड़ेगा। जहां न आजादी है और न फन ही! अब फन को हरेक व्यक्ति अपने-अपने तरीके से परिभाषित करेगा। ऐसा करने को वे पूरी तरह आजाद हैं! और आजादी को पूरी तरह इस्तेमाल में लाने से रोकने का हक किसी को नहीं।

चाहे हम अपनी आजादी का उपयोग किसी भी तरह से करें। किसी का घर जलाएं या किसी की दुनिया उजाड़ें। यह हम पर निर्भर करता है! इससे किसी पर क्या प्रभाव पड़ता है, कौन सोचे! यदि हम दूसरों के नजरिए से ही देखें तो यह कैसी आजादी! इसलिए हमें मुहावरे में भी बदलाव करना चाहिए। और नया मुहावरा कुछ इस तरह का होगा फन के लिए सबकुछ जायज है!

मेरे दोस्तों का दूसरा झुंड खुश है। न जाने कितनी लक्ष्मण रेखाएं खींच दी गईं थीं उनके रास्तों में। उनकी शादी में सालों से अड़चनें थीं। कलयुग में रावण बनने में कोई परेशानी तो नहीं लेकिन रिस्क तो है ही। लेकिन वे रिस्क भी लेना नहीं चाहते! मैंने कितना समझाया। कई धांसू टिप्स दिए! लेकिन सब बेकार! अब वे सब टाइमपास के लिए मनपसंद जोड़ीदार की तलाश में हैं! उनकी योजना जोड़ीदार के साथ पबों के आसपास मंडराने की है। जोड़ीदार के नखरे के बाद अगर एक-दो बार पब के अंदर जाना भी पड़े तो यह महंगा सौदा नहीं। शादी तो अपने आप ही करा दी जाएगी! वैसे हम सेना के नाम से हम यूं ही डरे रहते हैं। चाहे वह राम सेना हो या शिव सेना!पबों के मालिकों ने डर से अपनी दुकानों को समेटना शुरू कर दिया है। इसकी जगह वे अब म्यूजिक सिस्टम बेचने की दुकान खोल कर बैठना ज्यादा फायदेमंद समझ रहे हैं।

मेरे दोस्तों का पहला झुंड इसका बड़ा खरीदार है। लेकिन यह उनको फन देने वाला नहीं है। इसके कई खतरे भी हैं! वे हमेशा काजल की कोठरी से बेदाग निकलने का दावा करते रहे हैं। कोई यकीन करे या न करे। कभी-कभी तो उनके हाल पर दया भी आती है। लेकिन मुङो एक बात की खुशी है कि मैं ऐसे किसी पचड़े में पड़ने से बच गया, शायद!

- 10 फरवरी को आज समाज में प्रकाशित .

2 comments:

  1. होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।

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  2. yar ajadi jimmedariyaan sath lekar aati hai. tumne jo kuchh bhi likha hai vyang kam lecture jyada hai.

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