बोर्ड की एक ही परीक्षा लेने की सरकार की भविष्य की योजना के बारे में सुनकर लोगों को बड़ा आनंद आया। जिंदगी यूं भी झमेलों की एक पूरी सीरीज है। सरकार ने नई योजना से कम-से-कम उसमें से एक कड़ी तो निकालने की सोची, ये क्या कम है! वाकई, पहली बार मुङो लगा कि सरकार लोगों के दु:ख-दर्द को समझती है। लेकिन मैं गलत था। सरकार दुखों को सिर्फ समझती ही नहीं है बल्कि उसे दूर करने के लिए योजनाएं भी बनाती है! इन दोनों ही चीजों (दु:ख को समझने और उसे दूर करने की योजना बनाने) से लोगों का दु:ख आधा हो जाता है और सरकार का काम पूरा! सरकार का यह बिल्कुल मस्त करनेवाला अंदाज है!
इस बारे में मुङो अंदर की बात पता चली है, जिसे बताए बिना मेरा खाना हजम नहीं हो रहा! हमारी सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए यह कदम नहीं उठाया है। वह तो गुस्से में आकर ऐसा करने जा रही है। सरकार को यह पता है कि बोर्ड परीक्षाओं के चलते ही हमारे यहां प्रतिभाएं निकलती रही हैं। परीक्षा के नाम पर सब कुछ रट जाते हैं, बेचारे! लेकिन अच्छे नंबरों से पास होने के बाद वे यहां नहीं टिकते। आगे की पढ़ाई करने अमेरिका, इंग्लैंड और आस्र्ट्ेलिया भाग जाते हैं।
वहां भी वे यहीं जितना या यहां से कुछ कम पढ़ाई करके पास हो जाते हैं और वहां के लोगों से दुश्मनी मोल ले लेते हैं। लेकिन जवाब तो सरकार को ही देना पड़ता है न! फजीहत में सरकार पड़ती है! अब सरकार इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे ले सकती है! आखिर विदेशों में मारपीट की घटनाओं के लिए अपनी सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता! यह तो वहां की कानून-व्यवस्था का मामला ठहरा! इतना सब कुछ होने के बावजूद वे वहीं काम भी करने लगते हैं। इसलिए सरकार ने पूरे जोश के साथ एक नई योजना का धमाका कर दिया। सरकार ने विदेश जानेवाले छात्रों को हतोत्साहित करने के लिए यह कदम उठाया है! दूसरी ओर, सरकार पप्पुओं को लेकर भी चिंतित थी। सरकार नहीं चाहती की कोई भी छात्र एक साल से अधिक एक ही क्लास में रहे!
लेकिन मेरा अनुभव कहता है कि डरने वाली कोई बात नहीं है। इस योजना का अंजाम भी अन्य सरकारी योजनाओं की तरह होनेवाला है! क्योंकि हमारी सरकार की योजनाएं परवान कम ही चढ़ती हैं! इसलिए पप्पुओं को अभी ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है।
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