Sunday, January 3, 2010

थप्पड़ का कमाल!

थप्पड़ खाना शायद ही किसी को पसंद हो। लेकिन बिना थप्पड़ खाए हमारे अक्ल पर ताला पड़ा रहता है। यह ताला सिर्फ थप्पड़ नाम की चाभी से ही खुलता है। एक अदद थप्पड़ ने न जाने कितने लोगों की दुनिया बदल दी। हमारे आसपास कई उदाहरण मिल जाएंगे, जिन्होंने थप्पड़ खाने के बाद सफलता का स्वाद चखा। थप्पड़ खाने से पहले तक उन्हें सफलता के स्वाद के बारे में पता तक न था। एक 'कड़वे' थप्पड़ ने बहुतों को सफलता का 'मीठा' स्वाद बता दिया!

अपने क्रिकेटर श्रीसंत का मामला सबसे ताजा है। क्रिकेट की अपनी पहली पारी में वे कुछ खास नहीं कर सके थे। वे अपनी गेंदबाजी से ज्यादा मैदान पर ब्रेक डांस के लिए जाने जाते थे। उन्हें कोई विकेट हाथ लगा या अंत में कोई बड़ा शॉट लगा दिया तो लगे पिच पर ब्रेक डांस करने। लेकिन आईपीएल में एक मैच के दौरान भज्जी का थप्पड़ क्या लगा उनके रात और दिन बदल गए। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दूसरी पारी में वे सिर्फ अपनी गेंदबाजी के लिए ही चर्चा में रहे। श्रीलंका के खिलाफ घरेलू टेस्ट श्रंखला में वे मारक साबित हुए। भज्जी के थप्पड़ ने कमाल कर दिया!

थप्पड़ की, 'बादशाह' खान की दुनिया बदलने में भी बड़ी अहम भूमिका रही है। बचपन में शाहरुख को किसी क्रिकेटर ने थप्पड़ जड़ दिया था। किंग खान की गलती सिर्फ इतनी थी कि वे क्रिकेटर के आउट होकर पैवेलियन लौटते समय ऑटोग्राफ मांग रहे थे। क्रिकेटर द्वारा ऑटोग्राफ के बदले दिए गए थप्पड़ का असर इतना बड़ा था कि करीब दो दशक बाद शाहरुख ने कई क्रिकेटरों को खरीद लिया! अब तो उनके पास देशी-विदेशी क्रिकेटरों की एक बेहतरीन फौज तैयार है। यदि शाहरुख को थप्पड़ न पड़ा होता तो शायद वे ऐसा करने के बारे में सोचते भी न! हालांकि उनकी टीम अब तक आईपीएल में कुछ कारनामा नहीं कर सकी है लेकिन अपनी टीम को लेकर शाहरुख आज हुंकार तो भरते हैं! ये क्या कम है!

थप्पड़ मजनू टाइप प्रेमियों के लिए 'प्रेम' होने का संकेत भी देता है। अगर प्यार में पिटे नहीं तो आखिर वह कैसा प्रेम! पिटाई के बाद ही प्रेम पुख्ता होता है। प्रेमिका के भाई या उसके पुराने प्रेमी से पिटना अद्भुत घटना है। ऐसा होना मतलब प्रेमी को मन की मुराद मिल जाना है। जब ऐसा हो समझिए आप प्रेमिका के दिल में पहले से ज्यादा जगह घेरने में कामयाब हो गए हैं!

मुङो थप्पड़ न मिलने का आज तक अफसोस है! किसी ने इस काबिल ही नहीं समझा! अब तो थप्पड़ की हसरत लिए ही इस जहां से कूच करना होगा क्योंकि इस उम्र में थप्पड़ का दर्द ङोल नहीं पाऊंगा! नाकामयाब होने का दर्द ही काफी है!

2 comments:

  1. थप्पड़ न मिलने का इतना अफसोस!!! :)

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  2. yar tumne likha bahut achha hai. tumhari lekhan shali dinodin nikharti ja rahi hai. lekin kuchh vyakran ki galatiyan aisee hain, jinki ummeed kamsekam tumse nahin ki ja sakti. maslan main samajhta hoo ki swad bata diya ki jagah swad chakha diya hona chahiye tha.
    aur Aakhilesh yadi thappad khane se kamyabi haasil ho jati to is desh me is tarah ki ghatnaye prayojit karne ki agencian khul jati. kuchh ittefakon ko paripati nahi mana ja sakta aur tum itne bhole to nahi ho.
    khair mai tumhare likhne ke tarike ki ek bar phir tarif karna chahunga.
    Carry on.
    Bhim

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