Wednesday, February 10, 2010

कब होगा मोह भंग

क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर हमारी टीम में। टेस्ट का नंबर एक बल्लेबाज गौतम गंभीर भी यहीं पर। दुनिया के प्रमुख विस्फोटक बल्लेबाजों में से एक वीरें्र सहवाग हमारे ही साथ और यह टीम भी टेस्ट की नंबर एक। इसके बावजूद हमने घर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला टेस्ट मैच चौथे ही दिन गंवा दिया। क्या इसने पचा पाना आसान है? बिल्कुल नहीं। मेहमान टीम की पहली पारी में बनाए गए 558 रन को हमारे बड़े-बड़े दिग्गज दो पारियों में भी पीछे नहीं छोड़ पाए! हमें पारी और छह रन की शर्मनाक हार ङोलनी पड़ी।

यदि खिलाड़ी जरूरत के हिसाब से टीम के लिए नहीं खेल सकते तो हम उन्हें सिर आंखों पर क्यों बिठाएं। क्या हमें भगवान की तरह उन्हें पूजना चाहिए। क्यों उनके सालों पुराने प्रदर्शन और व्यक्तिगत रिकॉर्ड के लिए अंधभक्त बने रहें। मुङो तो कोई कारण नहीं दिखता। नागपुर में खेले गए पहले टेस्ट में भारत की ओर से दो-तीन जोरदार पारियों की जरूरत थी। लेकिन निकली एक भी नहीं। सारे दिग्गज फुस्स हो गए। वो भी एक साथ। सिर्फ शतक भर लगाना टीम की जरूरत नहीं थी। टिक कर बल्लेबाजी करना टीम हित में था। अगर यह शतक नए बल्लेबाजों मुरली विजय, ब्रीनाथ या रिद्धिमान साहा ने लगाया होता तो बेशक उनकी तारीफ की जाती। बिना मैच के परिणाम के बारे में सोच-विचार किए। लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इतने सालों के अनुभव के बाद वरिष्ठ बल्लेबाजों के शतक लगाने बाद भी इस गैर-जिम्मेदाराना बल्लेबाजी की प्रशंसा नहीं की जा सकती। वीरें्र सहवाग टेस्ट मैच को भी एकदिवसीय और ट्वेंटी20 मैच की तरह खेलते हैं। यह उनकी सबसे बड़ी कमी है। इसलिए चयनकर्ताओं को उन्हें टेस्ट टीम में लेना ही नहीं चाहिए। जिस तरह कुछ बल्लेबाजों को टेस्ट टीम तक ही सीमित कर दिया गया है और सहवाग को एकदिनी और ट्वेंटी20 मैच का स्पेशलिष्ट मान टेस्ट के लिए अनफिट कर देना चाहिए।

कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है। लेकिन नागपुर में इतिहास खुद को नहीं दोहरा पाया। याद कीजिए आस्ट्रेलिया के खिलाफ राहुल ्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की कोलकाती की पारियों को। फॉलोआन के बाद इन दोनों की बल्लेबाजी ने मैच का परिणाम हमारे पक्ष में कर दिया था। ठीक वैसी ही पारियों की जरूरत थी नागपुर में भी। लेकिन टीम में ्रविड़ और लक्ष्मण नहीं थे। तो पारी कहां से देखने को मिलती। मिस्टर भरोसेमंद के नाम से मशहूर राहुल ्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण का न खेलना भारत को काफी महंगा पड़ा। पूरी टीम बिखरी हुई नजर आई। पहली पारी में सहवाग ने शतक (109) जड़ा लेकिन उन्हें सिर्फ एस. ब्रीनाथ (56) का ही साथ मिला। पहली पारी के आधार पर 325 रन से पिछड़ने के बाद दूसरी पारी में सिर्फ सचिन तेंदुलकर ने शतक (100) बनाया। इसके अलावा कोई भी बल्लेबाज मैच जिताऊ पारी नहीं खेल पाया। ्रविड़ के स्थान पर बल्लेबाजी करने आए मुरली विजय दोनों पारियों में (4 और 32) कुछ खास नहीं कर सके। दूसरी पारी में सलामी बल्लेबाजों के सस्ते में निपट जाने के बाद पुछल्ले स्कोर को तीन सौ के पार ले गए। इस मैच में मध्यक्रम बिल्कुल नहीं चल पाया।

दक्षिण अफ्रीका मैच के पहले दिन से ही मेजबान टीम पर हावी रहा। जहीर खान ने दक्षिण अफ्रीका को शुरुआती झटके दिए लेकिन इसके बाद हमारे गेंदबाज नाकाम ही रहे। तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा, स्पिनर हरभजन सिंह और अमित मिश्रा का जादू बिल्कुल नहीं चला। द. अफ्रीकी बल्लेबाजों हाशिम अमला और जक कालिस ने जबरदस्त बल्लेबाजी की जिसकी बदौलतमेहमान टीम ने 558 रन का बड़ा स्कोर बना पारी घोषित की। डेल स्टेन के नेतृत्व में मेहमान गेंदबाजों के आगे मेजबान बल्लेबाज चल नहीं पाए। यह भी विडंबना है कि जिस पिच पर मेहमान टीम के बल्लेबाजों और गेंदबाजों ने बढ़िया प्रदर्शन किया उसी मैदान पर पहले हमारे गेंदबाज और बाद में बल्लेबाज फ्लॉप साबित हुए। हम दक्षिण अफ्रीका की पारी में सिर्फ छह विकेट ही ले पाए, जबकि उनके गेंदबाजों के आगे हमारे बल्लेबाजों ने हथियार डाल दिए।

हार के बाद चयनकर्ताओं की नींद टूटी और उन्होंने टीम में बदलाव कर डाले और टीम से उन्हें निकाल दिया, जो पैवेलियन में बैठकर इस बेकार, बेमजा मैच को देखने को मजबूर थे। उनमें से सिर्फ साहा ही खेल रहे थे। आखिर क्यो सोचकर इन्हें टीम में लिया गया था। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

2 comments:

  1. yar akhilesh aisa bhi kya ho gaya. muqabla hota hai to kisi ek team ko to harna hi padta hai. aur south africa koi doyam darze ki team to hai nahin. hamse pahle test rank me wahi no. 1 par tha.
    doosri baat yah ki koi azooba nahin ho gaya hai. test cricket ke mahantam khiladiyon me gine jane wale Steve Waugh ki kaptani wali austrailiai team ko hamne bhi usi ki zameen par isi tarah shikast di hai.
    bhai yah khel hai kisi ko to harna hi tha. hum hi har gaye, agle mukable me jeet bhi hogi. lekin ek baat sahi hai ki chayankartaon ko santulit team ka chayan karna chahiye. unki bhoomika par to sawal uthna hi chahiye. we apni zimmedari se bach nahin sakte.

    Bhimsen

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  2. cricket to anishchittaon ka khel hai.jo achha pradarshan karte hain wo hi jitte hain.bharat k sath aisa hua ki iske test ke bharose k khiladi unfit the isliye aashnka jo thi wo haqiqat me badal gayi.hamari team santulit dhang se nahi kheli isliye hari .jab anubhavi khiladi chotile hon to aise samay me naye khiladiyon ko mauka dena wajib hai.aise me anubhavi khiladi jo khel rahe hain unki jimmedari badh jati hai ki ve jimmedari se khelen.rahi sahwag ki baat to ve to ek bonus khiladi hain jo chale to vipakshi team par havi rahte hain.

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